स्वागत है आप सभी का | आप सादर आमंत्रित हैंसिनगी-कैली दई, फूलो-झानो, माकी मुण्डा और देवमनी के देश में.
आयोजन की प्रस्तावित रूपरेखा | दूसरा दिन (रविवार)
संवाद अखड़ा: 15 जून 2014/रविवार/9.30 से 11.30 बजे दिन 1. पहला सत्र: आदिवासी दर्शन और समकालीन आदिवासी कविताएंविषय प्रवेश: हरि राम मीणा, वरीय साहित्यकार, जयपुर, राज. (अधिकतम समय: 20 मिनट)बलदेव सिंह मुण्डा, प्यारा केरकेट्टा, आयता उरांव, महादेव टोप्पो, ग्रेस कुजूर, वाहरू सोनवणे, हरि राम मीणा, निर्मला पुतुल, फ्रांसिस्का कुजूर, उज्जवला ज्योति तिग्गा, जोवाकिम डुंगडुंग, वंदना टेटे, अनुज लुगुन, ज्योति लकड़ा, जसिंता केरकेट्टा की आदिवासी कविताओं का पाठ (अधिकतम समय: 60 मिनट)पठित कहानियों पर त्वरित आमंत्रित टिप्पणी (अधिकतम समय: 30 मिनट)सत्र मॉडरेटर: जसिंता केरकेट्टा, युवा आदिवासी कवयित्री-पत्रकार, रांची, झारखंड2. टी ब्रेक: 11.30 से 11.45 बजे दिन3. दूसरा सत्र : 11.45 से 2 बजे दिन आदिवासी दर्शन और आदिवासी काव्य परंपराविषय प्रवेश: वंदना टेटे, महासचिव, झा.भा.सा.सं. अखड़ा, झारखंड (अधिकतम समय: 20 मिनट)समकालीन आदिवासी कविताओं की रूपगत एवं शैलीगत विशेषताएं : फ्रांसिस्का कुजूर, चर्चित आदिवासी लेखिका, गुमला, झारखंड (अधिकतम समय: 20 मिनट) समकालीन आदिवासी कविताएं: परंपरा और युद्ध भूमि के बीच : अनुज लुगुन, प्राध्यापक, सेंट्रल युनिवर्सिटी, बिहार (अधिकतम समय: 20 मिनट)विमर्श हेतु सहभागी चर्चा (अधिकतम समय: 60 मिनट)सत्र मॉडरेटर: डज्योति लकड़ा, आदिवासी लेखिका, रांची, झारखंड4. लंच ब्रेक: 2 से 3 बजे दिन5. तीसरा सत्र/3 बजे से 5.30 बजेआदिवासीयत, सृजन संघर्ष और आदिवासी अभिव्यक्ति की दार्शनिक सैद्धांतिकी बौद्धिक लूट की राजनीतिक अवधारणाएं और तथाकथित भारतीय साहित्य: विनोद कुमार, उपन्यासकार, रांची, झारखंड (अधिकतम समय: 20 मिनट)आदिवासी क्यों और क्या लिखना चाहता है? : सीआर बंजारे (छत्तीसगढ़)/फ्रांसिस्का कुजूर/सुनील कुमार सुमन (नागपुर)/भोगला सोरेन (जमशेदपुर) (अधिकतम समय: 10-10 मिनट) सामूहिक चर्चा और दो दिनों के परिसंवाद की सार प्रस्तुति : गंगा सहाय मीणा/अनुज लुगुन/जसिंता केरकेट्टा/सुरेश जगनाथम (हैदराबाद) (अधिकतम समय: 10-10 मिनट)6. टी ब्रेक: 5.30 से 6 बजे सायं7. आदिवासी सिनेमा अखड़ा: 6 से 8.30 सायंऑस्कर अवार्ड विजेता पहली ब्लैक फिल्म 'ए ट्वेल्व ईयर ए स्लेव' का प्रदर्शन, अवधि: 2.10 मिनट, भाषा: अंग्रेजीनोट: यह संभावित कार्यक्रम है और इसमें अंतिम समय तक परिवर्तन संभव है.पहले दिन का कार्यक्रम देखें ...Join akhra & save, protect, preserve Adivasi Languages and culture.Send your valuable support, suggestons & donation at toakhra@gmail.com
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