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जोहार! आदिवासी कभी नहीं हारे, चाहे मिथक हो, इतिहास हो या कि वर्तमान. हुलगुलान जिंदाबाद!!
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Adivasi Darshan

राम ने बेईमानी की

आदिवासी दर्शन कथा

एक आदिवासी बच्चा पहली-पहली बार स्कूल गया था. गैर-आदिवासी मास्टर गणित पढ़ा रहा था. 'अच्छा बच्चों, एक बार राम और हनुमान जंगल में घूम रहे थे. जंगल में आम का एक बहुत बड़ा पेड़ था जिस पर दस आम फले हुए थे. पके हुए आमों को देख कर राम के मुंह में पानी आ गया. उसने आम तोड़ने की कोशिश की. आम पेड़ पर बहुत ऊंचे लगे थे. तब हनुमान ने मदद की. फटाफट पेड़ पर चढ़ कर सारे आम तोड़ डाले और राम को दे दिया.

घर पहुंच कर राम ने दस में से तीन आम सीता को दिए. दो-दो आम लक्ष्मण और भरत को दे दिया. एक आम हनुमान को मिला. बताओ तो राम के पास कितने आम बचे?'

मास्टर जी के इस सवाल के जवाब में गैर-आदिवासी बच्चों ने अपनी-अपनी समझ से जवाब दिए. आदिवासी बच्चा चुपचाप रहा. मास्टर ने उसे खड़ा करते हुए पूछा, 'बुधुआ, तुम बोलो तो राम के पास कितने आम बचे?'

पूरी कथा नीचे के लिंक पर जा कर पढ़ें. [...]

आदिवासी दर्शन कथा : राम ने बेईमानी की

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Steep This!

366 लोगों का परिवार

आदिवासी दर्शन कथा

सारी बातें सुनने के बाद एक बूढ़ा आदिवासी उठ कर खड़ा हो गया. परियोजना अधिकारी ने उसे उत्साहित करते हुए कहा, 'हां-हां, बोलिए. आप क्या कहना चाहते हैं.'

बूढ़ा आदिवासी बोला, 'जिसकी जमीन जाएगी सबको पैसा और घर मिलेगा?' 'हां-हां. कंपनी का वादा है. सबको मिलेगा. एक-एक को मिलेगा.' अधिकारी ने जोश में उस बूढ़े आदिवासी के बहाने सबको आश्वस्त किया.

'तब ठीक है.' बूढ़ा आदिवासी निश्छल मुस्कान के साथ बोला. 'हमारे पास 12 एकड़ जमीन है. तुम्हारी कंपनी वो सारी जमीन ले लेगी. उस जमीन पर हमारा 366 लोगों का परिवार गुजर-बसर करता है. उन सभी के नाम लिखो.'

'अधिकारी ने तुरंत रजिस्टर उठा कर उसके परिवार की जानकारी देखी. कुल सात लोगों के नाम दर्ज थे. वह चकराया. हकलाते हुए अधिकारी ने पूछा, 'बाबा, रजिस्टर के अनुसार तो आपके परिवार में कुल सात लोग ही हैं. 366 कहां से आ गए?'

पूरी कथा नीचे के लिंक पर जा कर पढ़ें. [...]

आदिवासी दर्शन कथा : 366 लोगों का परिवार

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Steep This!

बोलो सांप कौन?

आदिवासी दर्शन कथा

एक आदिवासी जब छोटा बच्चा ही था और किसी एक दिन पेड़ के नीचे सो रहा था, उस समय एक सांप नाक से होकर उसकी पेट में घुस गया. सांप ने पेट में घुसकर वहीं डेरा जमा लिया. फिर तो लड़का जो भी खाता था, उसे सांप खा लेता था. इससे सांप तो पेट में बड़ा होकर मोटा हो गया, लेकिन लड़का सूख कर कांटा हो गया. सांप को बिना मेहनत के भोजन मिल रहा था, इसलिए वह वहां से कहीं जाने का नाम ही नहीं ले रहा था.

जवान होने पर उसकी शादी हो गई. एक दिन रात को जब पति-पत्नी सो रहे थे, उस समय उस आदिवासी युवक के नाक के रास्ते से निकल कर सांप हवा पी रहा था. अचानक पत्नी की नींद टूटी तो उसने सांप को देख लिया. वह डर कर चिल्लाई तो सांप फिर पेट में घुस गया.

सुबह हुई. पत्नी ने पति से सांप के बारे में पूछा. युवक ने सारी बातें बतायीं और बोला-'इस सांप से छुटकारा पाने के लिए मैंने कितने ही जतन किए, किंतु हार गया.' फिर वह बड़ी निराशा से बोला-'अब तो मरने के बाद ही छुटकारा मिलेगा.'

पूरी कथा नीचे के लिंक पर जा कर पढ़ें. [...]

आदिवासी दर्शन कथा : बोलो सांप कौन?

© Jharkhandi Bhasha Sahitya Sanskriti Akhra @ PKF 2004-23
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