अखड़ा: सामूहिक एकजुटता की परंपरा
झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा के बारे में जानें और इससे जुड़ें
अखड़ा झारखंड की विशिष्ट सांस्कृतिक परंपरा है. एक ऐसी सामूहिक पंरपरा जो सिर्फ सहअस्तित्व और सहभागिता में विश्वास ही नहीं रखता है बल्कि उसे जीता है.
झारखण्डी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा इसी पारंपरिक विरासत और मूल्यबोध को बचाये रखने के लिए कृतसंकल्प है.
facebook rssअखड़ा: इतिहास और सांगठनिक ढांचा
एक आत्मनिर्भर सामुदायिक संगठन
झारखण्डी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा का गठन नवम्बर 2003 में हुआ था और 2 वर्षों के सघन सांस्कृतिक अभियान के बाद 2006 की फरवरी में इसका पहला महासम्मेलन आयोजित हुआ.
झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा का सांगठनिक विस्तार देश के उन सभी राज्यों और क्षेत्रों में है जहां-जहां झारखंडी समुदाय निवास करते हैं.
अखड़ा: संविधान और कार्यक्रम
हमारा संकल्प रचाव-बचाव के लिए है
झारखण्डी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा का अपना संविधान और कार्यक्रम है. जिससे संगठन निर्देशित और संचालित होता है.
अखड़ा संविधान 2006 के स्थापना महासम्मेलन में गृहित किया गया। आप पूरा संविधान और कार्यक्रम यहां देख सकते हैं.
अखड़ा महासम्मेलन
राज्य सत्ता के दमन के खिलाफ रचेंगे, लड़ेंगे, जीतेंगे
झारखण्डी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा देशव्यापी झारखण्डी संस्कतिकर्मियों, लेखकों, पत्रकारों, कलाकारों और साहित्यकारों का संगठन है. प्रत्येक 3 वर्ष के अंतराल पर इसके केन्द्रीय महासम्मेलन का आयोजन होता है.
अखड़ा का दूसरा महासम्मेलन 23-24 अप्रैल 2010 को और तीसरा महासम्मेलन 7-8 सितम्बर 2013 को रांची विश्वविद्यालय के मोरहाबादी स्थित शहीद स्मृति केंद्रीय पुस्तकालय सभागार में संपन्न हुआ.
तीसरे अखड़ा महासम्मेलन की केन्द्रिय थीम थी - जीवन के लिए भाषा और भाषा के लिए जीवन. भाषा के पक्ष में खड़े होने का अर्थ है जीवन के लिए खड़ा होना. अपने सभी संसाधनों पर पुरखौती हक-हकूक का दावा करना. हमें याद रखना है कि कोई भी युद्ध औपनिवेशिक भाषा और हथियारों से नहीं लड़ी जाती. संसाधनों पर पुरखौती अधिकारों की आवाज मातृभाषा के बिना हमेशा कमजोर बनी रहेगी. मातृभाषा ही मुक्ति की भाषा है.
अखड़ा: महासम्मेलन रिपोर्ट / दस्तावेज
अब सुनें-पढ़ें हमारी कहानियां
झारखण्डी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा महासम्मेलनों के रिपोर्ट, पोस्टर, पर्चे, अपील और अन्य दस्तावेजों को
आप यहां इस लिंक पर देख-पढ़ सकते हैं।
सब कुछ दर्ज है यहां जिसे देश के आदिवासी और देशज समुदायों ने कहा है, रचा है और साझा किया है.
अखड़ा सम्मान
समुदाय करता है अपने लेखकों का सम्मान
झारखण्डी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा द्वारा झारखण्डी भाषाओं के 22 वरिष्ठ एवं युवा संस्कृतिकर्मियों, कलाकारों व साहित्यकारों को 'अखड़ा सम्मान' प्रदान किया जाता है. यह सम्मान प्रत्येक 3 वर्ष के अंतराल पर आयोजित होने वाले महासम्मेलन के दौरान दिया जाता है.
वर्ष 2013 से अखड़ा ने पद्मश्री राम दयाल मुंडा की स्मृति में एक सम्मान शुरू किया है. यह सम्मान राष्ट्रीय स्तर पर किसी आदिवासी साहित्यकार को उनके अवदान के लिए दिया जाएगा.
पहला पद्मश्री राम दयाल मुंडा अखड़ा सम्मान दिल्ली की आदिवासी कवयित्री उज्ज्वला ज्योति तिग्गा को प्रदान किया गया.
अखड़ा सदस्यता लें
सदस्यता ले कर साथ जुड़ें, समुदाय की ताकत और उसके सहभागी बनें
झारखण्डी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा भाषायी पहचान और सांस्कृतिक स्वाभिमान का आंदोलन है.
आप भारत और भारत के बाहर, जहां कहीं भी रह रहे हैं और झारखण्डी मूल के लेखक, कलाकार, चित्रकार, पत्रकार, मीडियाकर्मी या संस्कृतिकर्मी हैं तो आपसे आग्रह है कि अखड़ा की सदस्यता जरूर लें और इस भाषायी-सांस्कृतिक आंदोलन के सहभागी बनें.